आप भी तो नहीं खा रहे झाड़ू से बना जीरा

जीरा से खाने का स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही ये सेहत के लिये फायदेमंद होता है. सब्जियों से लेकर कई देशी दवाइयों में भी जीरे का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन और चीजों के साथ-साथ अब इस गुणकारी जीरा में भी मिलावट होने लगी है.



दिल्ली पुलिस ने बवाना में नकली जीरा बनाने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है. यहां एक खास किस्म की घास, पत्थर के दाने और गुड़ के सीरे के इस्तेमाल से नकली जीरा बनाया जाता था. पुलिस ने फैक्ट्री से 20 हजार किलो तैयार नकली जीरा और 8  हजार किलो कच्चा माल बरामद किया है. आरोपियों ने बताया कि नकली जीरा बनाने के लिए उन्हें बिल्कुल मेहनत नहीं करनी पड़ती है और इसे बनाने के लिए सिर्फ 3 चीजें चाहिए होती हैं. जंगली घास, पत्थर के दाने और गुड़ के शीरे. इन सब के इस्तेमाल से नकली जीरा बनाया जा रहा है, जिसे बाजार में सस्ते दाम में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है. 


बता दें कि नकली जीरा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली जंगली घास नदियों के किनारे उगने वाली घांस होती है. इस घास में जीरे के तरह ही छोटी-छोटी कई पत्तियां चिपकी होती हैं जिसकी वजह से इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है. घास की इन छोटी पत्तियों को गुड़ के पानी में डाल कर सुखाया जाता है, जिससे ये जीरे के रंग में बदल जाती हैं.


इसके बाद इसे पत्थर के बने पाउडर में मिला दिया जाता है, जिसके बाद ये असली जीरे की तरह ही दिखता है. बाजार में असली जीरे का भाव करीब 300 रुपए किलो है, जबकि नकली जीरा बाजार में 20 रुपए किलो के हिसाब से दुकानदारों को बेचा जा रहा है.


ये नकली जीरा सेहत के लिए बेहद खतरनाक है. इसके लगातार सेवन से आपकी इम्यूनिटी पर तो असर पड़ता ही है, इसके अलावा इसे खाने से स्टोन और त्वचा से संबधित बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है.


ऐसे करें पहचान


असली और नकली जीरे की पहचान करना बेहद आसान है. एक कटोरी में पानी लें और इसमें जीरा डाल दें. अगर जीरा रंग छोड़ता है और टूटने लगता है तो वो नकली है. असली जीरा मजबूत और पक्का होता है और पानी में डालने के बाद भी वो वैसे का वैसा ही रहता है.