शोले, शान जैसी हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी हिट फिल्मों के निर्देशक रमेश सिप्पी का करियर उनकी निर्देशित की हुई पहली ही फिल्म से उफान पर था। हिंदी सिनेमा को गब्बर सिंह और शाकाल जैसे खूंखार विलेन देने वाले इस पद्मश्री विजेता निर्देशक ने फिल्म निर्माण के गुर सीखने के लिए छः साल की अबोध उम्र से ही फिल्मों के सेट पर जाना शुरू कर दिया था। आज से लगभग 45 साल पहले शोले जैसी लेजेंडरी फिल्म सिनेमा को देकर रमेश सिप्पी हमेशा के लिए सिनेप्रेमियों के दिल में अमिट छाप छोड़ चुके हैं।
अंदाज (1971)
सात साल तक एक सह निर्देशक के रूप में काम करने के बाद, इस फिल्म से रमेश सिप्पी ने निर्देशन की दुनिया में कदम रखा, और इसी फिल्म ने शम्मी कपूर और हेमा मालिनी जैसे सितारों की जिंदगी बदल दी। निर्देशक रमेश के करियर को कमाल की शुरुआत देने वाली इस फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों का भरपूर प्यार मिला।
सलीम-जावेद की कलम से लिखी गई, हेमा मालिनी के दोहरे किरदार वाली इस फिल्म को रमेश सिप्पी ने ऐसा पर्दे पर उतारा कि फिल्म सीधे पारे की तरह दर्शकों के ध्यान में उतर गई। हेमा मालिनी, धर्मेंद्र और संजीव कुमार अभिनीत यह फिल्म दो जुड़वा बहनों सीता और गीता की कहानी है जो अपने जन्म के वक्त ही एक दूसरे से अलग हो जाती हैं। इस फिल्म में रमेश सिप्पी के निर्देशन का जादू ऐसा चला कि इसके बाद कई निर्माताओं ने इस पर फिल्में बनाईं।
यह फिल्म सिर्फ रमेश सिप्पी की नहीं, बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा की अबतक की सबसे बड़ी सदाबहार फिल्म है। इस फिल्म के हर छोटे किरदार से लेकर बड़े किरदार तक सिर्फ एक संवाद बोलकर भी दर्शकों के जेहन में एक याद बनकर समा चुके हैं। वर्ष 2005 में 50वें फिल्मफेयर समारोह के जजों ने इस फिल्म को पिछले 50 सालों की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का दर्जा दिया, साथ ही ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट ने वर्ष 2002 की वोटिंग में शीर्ष 10 भारतीय फिल्मों की सूची में 'शोले' को प्रथम स्थान दिया।
यह फिल्म रमेश सिप्पी के लिए लगातार चौथी ब्लॉकबस्टर फिल्म थी। उनके निर्देशन के जादू ने इस फिल्म के विलेन शाकाल ने को वैश्विक स्तर पर खूंखार बना दिया था। धीमी शुरुआत के साथ आरंभ हुई इस फिल्म ने माउथ पब्लिसिटी के जरिए भारी मात्रा में दर्शक जुटाए। इस फिल्म के क्लाइमेक्स को निर्देशक शेखर कपूर ने अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में दोहराया है।
इस फिल्म के साथ रमेश सिप्पी अपने करियर की सफलता की एक और सीढ़ी को लांघ गए। अपने समय के शीर्ष अभिनेता दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन को एक साथ पर्दे पर लाने का श्रेय इसी इकलौती फिल्म को जाता है। इस फिल्म में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए दिलीप और अमिताभ दोनों को नामित किया गया था, लेकिन अंत में बाजी दिलीप कुमार ने मारी। इस पर रमेश सिप्पी ने कहा था कि अमिताभ ने फिल्म जैसा अभिनय किया है, वैसा शायद ही कोई अभिनेता कर पाता। इस फिल्म की वर्ष की सर्वश्रेष्ठ फिल्म चुना गया था।